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लेखनी प्रतियोगिता -24-Apr-2023 ये इश्क नहीं आसां

भाग 2 
रुकमणी ने दूसरी कंपनी ज्वाइन कर ली । यह कंपनी पहले वाली कंपनी से बहुत बड़ी थी । आलीशान ऑफिस, ज्यादा स्टॉफ और अधिक सुविधाऐं थीं यहां पर । पद भी मैनेजर का था रुकमणी का यहां । उसके अधीन करीब दस लोग काम करते थे । ऐसा नहीं है कि वह अकेली ही मैनेजर थी इस कंपनी में, उस जैसे करीब बीस मैनेजर और थे कंपनी में । मैनेजर के ऊपर जनरल मैनेजर थे और वो भी चार । जनरल मैनेजर के ऊपर डाइरेक्टर और डाइरेक्टर के ऊपर एक्जीक्यूटिव डाइरेक्टर था जो कंपनी का मालिक था । एक्जीक्यूटिव डाइरेक्टर का नाम आदित्य था जो एक स्मार्ट व्यक्तित्व का मालिक था । आदित्य के यहां जब भी मीटिंग होती थी तब उसमें जनरल मैनेजर तक के अधिकारियों को ही भाग लेने की अनुमति थी , बाकी किसी को नहीं । डाइरेक्टर थे मिस्टर पीटर । लगभग पचास वर्ष की उम्र, फ्रेंच कट दाढी पीटर पर बहुत फबती थी । गोरा चिट्टा चेहरा और फ्रेंच दाढी, आंखों पर सुनहरी फ्रेम का चश्मा और पीछे झूलती हुई एक पोनी टेल । पचास की उम्र में भी युवतियों को आकर्षित कर लेने का दम था उनमें । स्टॉफ की औरतें अक्सर पीटर सर की ही बातें करती थीं । पीटर की मीटिंग में मैनेजर तक के अधिकारी भाग लेते थे । 
चार जनरल मैनेजर में से एक मिस सुदीप्ता रुकमणी की बॉस थी जिसे रुकमणी को रिपोर्ट करना होता था । सुदीप्ता लगभग चालीस साल की थी और वह अभी तक अविवाहित थी । रुकमणी ने किसी के बारे में कुछ भी जानने की कोशिश नहीं की । किसी के व्यक्तिगत जीवन में झांकने की आदत नहीं थी उसकी । फिर उसने विकास , सलोनी , करण और जन्नत की हकीकत भी देख ली थी इसलिए उसका प्रेम पर से विश्वास उठ गया था । वह अपने काम से काम रखती थी बस । थोड़े ही दिनों में उसकी कार्य शैली की प्रशंसा आदित्य तक पहुंच गई थी । 

मिसेज सविता रुकमणी के अंडर काम करती थी । सविता लगभग 35 वर्ष की बहुत सुंदर महिला थी । बड़ी बिंदी और मांग में सिंदूर कह देता था कि वह एक विवाहिता है । वह जब तब अपने पति की प्रशंसा करती रहती थी । अपने और पति के प्रेम प्रसंगों को बड़े चाव से सबको सुनाने में उसे बहुत गर्व होता था । "रात को उसके पति ने कितनी बहादुरी दिखाई" इसकी चर्चा किये बिना वह रह नहीं सकती थी । पूरे ऑफिस की खोजी खबरें उसके पास ही रहती थीं । उसे सब पता होता था कि कौन किसके आगे दाना डाल रहा है और कौन किसके लिये आहें भर रही है । और भी बहुत सी "गुप्त" जानकारियां रहती थीं उसके पास । उसकी पूछ गजब की थी ऑफिस में । सब लोग उससे डरते थे । पता नहीं कब कौन सा राज सार्वजनिक कर दे वह ? सविता भाभी की धूम थी ऑफिस में । 

एक दिन रुकमणी ने किसी काम से सविता को बुलवाया तो वह आकर पीटर की "रासलीला" के किस्से सुनाने लगी । रुकमणी ने जब उन किस्सों पर ध्यान नहीं दिया तो वह सुदीप्ता के अविवाहित रहने के कारण बताने लगी । रुकमणी को आश्चर्य हुआ कि सुदीप्ता और पीटर के कभी आपसी संबंध थे । मगर पीटर तो किसी एक के संग बंधने वाला पंछी था नहीं । उसे तो नित नई "डिश" चखने का शौक था इसलिए सुदीप्ता के साथ उसका संबंध ज्यादा समय चल नहीं पाया । सुदीप्ता जब प्यार की मंजिल हासिल नहीं कर पाई तब उसने अविवाहित रहने का निर्णय कर लिया । ऐसी और भी बातें बताने लगी वह । और तो और वह कंपनी के मालिक आदित्य की भी जमकर बुराई करने लगी । वह उसे खड़ूस, गुस्सैल और घमंडी बताने से भी नहीं चूकी । कहने लगी "बीवी तो संभली नहीं इनसे, इतनी बड़ी कंपनी कैसे चलायेगा" ? तब जाकर रुकमणी को पता चला कि आदित्य विवाहित है । 
"विवाहित था, अब तलाकशुदा है" सविता ने संशोधन किया 
"तलाक क्यों दिया था उसकी बीवी ने" ? रुकमणी ने पहली बार जिज्ञासा प्रकट की ।
"ऑफिस की किसी लड़की के साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की थी उसने" सविता ने नाक भौं सिकोड़ कर कहा 
"छि : छि : , ऐसा घृणित कृत्य किया था इन्होंने" ? 
"हां, अभी तक केस चल रहा है कोर्ट में । लगभग 10 दिन जेल में अंदर भी रहे थे वे" और खुलासा करते हुए सविता बोली । 

रुकमणी को किसी की निजी जिंदगी में ताक झांक करने की आदत नहीं थी मगर सविता ने न जाने कैसा जादू कर दिया कि वह उसकी बातों में आ गई । उसे सविता का चरित्र बड़ा ही विचित्र लगा । अगर अपने पति से इतना प्यार करती है यह तो इसका प्रदर्शन करने की जरूरत क्या है ? जो चीज नहीं होती है आमतौर पर उसका ढिंढोरा पीटा जाता है । यह एक सामान्य सिद्धांत है । तो क्या सविता भी अपने प्रेम का झूठा ढिंढोरा पीट रही है ? रुकमणी के हृदय से आवाज आई । "इसका तो पता लगाना पड़ेगा" उसके दिल ने कहा । 

रुकमणी ने एक नई सिम खरीदी और एक नया फेसबुक अकाउंट बनाया "वैभव कौशिक" । उसने सविता भाभी का फेसबुक अकाउंट ढूंढ निकाला और उस पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी । सविता भाभी की फ्रेंड लिस्ट बहुत लंबी चौड़ी थी और उसमें महिलाओं की अपेक्षा पुरुष ज्यादा थे । रुकमणी ने एक सुंदर से सजीले जवान की फोटो लगा रखी थी जिसे देखकर लड़कियां आहें भरने को मजबूर हो जाये । अब रुकमणी सविता भाभी की पोस्ट पर वैभव कौशिक वाली आई डी से लाइक, कमेंट और शेयर करने लगी । थोड़े ही समय में सविता और वैभव दोनों अच्छे दोस्त बन गये । 

एक दिन रुकमणी ने वैभव वाली आई डी से मैसेंजर से सविता को संदेश भेजा "आप बहुत खूबसूरत हैं । आपकी आई डी वाली पिक बहुत बार देखी है मैंने । अब कुछ और पिक देखने की इच्छा है । क्या आप मेरे व्हाट्सएप पर कुछ लेटेस्ट पिक भेजना पसंद करोगी" ? रुकमणी ने अपना दूसरा नंबर शेयर कर दिया । उसे उम्मीद थी कि सविता उसे डांट लगायेगी और उसका नंबर ब्लॉक कर देगी । मगर उसका अनुमान गलत निकला । सविता ने अलग अलग पोज में अलग अलग फोटो भेज दिये । उनमें से एक भी पोज बिंदी, सिंदूर और साड़ी का नहीं था । रुकमणी को बड़ा आश्चर्य हुआ पर अब उसे सविता का चरित्र समझ में आ चुका था । उसने मैसेज भेजा 
"आपकी खूबसूरत पिक्चर्स ने मुझे रात भर सोने नहीं दिया , सविता जी । लगता है कि मुझे आपसे प्यार हो गया है । ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं हम क्या करें ? अगर आपको बुरा लगा हो तो मुझे माफ कर देना पर मैं अपने दिल के हाथों मजबूर हूं" उसने यह मैसेज पोस्ट किया तो उसे उम्मीद थी कि सविता भाभी कुछ उल्टा सीधा जवाब देंगी । 

अगले दिन उनका मैसेज आया "आपकी प्रशंसा से मैं अभिभूत हूं मगर मैं आपको धोखे में नहीं रखना चाहती हूं । मैं एक विवाहिता स्त्री हूं । क्या अब भी आप मुझसे प्यार करेंगे" ? 

ओह माई गॉड ! ऐसे जवाब की तो कतई उम्मीद नहीं थी । मगर अब क्या करें ? सविता भाभी को सबक तो सिखाना पड़ेगा ना ? उसने मैसेज भेजा "प्रेम जाति,  धर्म, उम्र, संबंध कुछ नहीं देखता है । जब मुझे प्रेम हुआ तब मुझे पता नहीं था कि आप विवाहित हैं । आप तो अभी 20 वर्ष की नवयुवती सी लगती हैं । आप विवाहित हैं तो भी कोई बात नहीं । दिल ने जिसे चाहा उस पर मेरा कोई वश नहीं है । कोई बात नहीं । मैं आपकी पूजा हरदम करता रहूंगा" । 

सविता भाभी का मैसेज आया "आप मुझसे इतना प्रेम करते हैं, मुझे नहीं पता था । दरअसल मेरी शादी मेरे माता पिता ने मेरी मरजी के खिलाफ की थी । मुझे मेरे पति में कोई दिलचस्पी नहीं है । अगर आप चाहें तो मैं तलाक ले सकती हूं फिर हम दोनों शादी कर लेंगे" । 

रुकमणी को लगा कि सविता अपना घर तोड़ने के लिए तैयार हो गई है । फिर भी एक बार और परीक्षा लेने के लिए एक संदेश भेजा "आज तो आपका हुस्न बहुत गजब ढा रहा है सविता जी । कोई तड़कती भड़कती सी फोटो भेजिए न जिसमें आप संपूर्ण रूप से दिखाई दे सकें । आप नहीं तो कम से कम आपकी फोटो से ही काम चला सकूं" । रुकमणी को बड़ा आश्चर्य हो रहा था अपने ऊपर । वह सविता से कैसे खिलवाड़ कर रही थी । 

रात को दो बजे पिंग की आवाज से उसकी नींद खुल गई । उसने मोबाइल देखा तो उसमें सविता के कुछ मैसेज पड़े थे । उसने व्हाट्सएप खोला तो वह सन्न रह गई । सविता ने बहुत से फोटोग्राफ भेजे थे । कुछ न्यूड और कुछ सेमी न्यूड । मैसेज में लिखा था "आज की रात इन्हीं से काम चला लो जान । जब हम मिलेंगे तब सावन की घटा की तरह तुम्हारे ऊपर बरस पडूंगी" । किस वाली इमोजी भी भेजी थी उसने  

रुकमणी सकते में आ गई । पतिव्रता स्त्री होने का ढोंग करने वाली औरत की सच्चाई सामने आ गई । वह दूसरे दिन सविता के पति के पास उसके ऑफिस में गई और अपना परिचय दिया । बातों बातों में उसे पता चल गया कि उनका प्रेम विवाह हुआ था कोई अरेंज मैरीज नहीं थी उनकी । सविता कितनी झूठी औरत है ? अब बिल्कुल साफ हो गया था । 

उसने सविता को अपने पास बुलाया और समझा कर कहा "आपने वह कहावत सुनी है क्या कि गोद वाले बच्चे को छोड़कर पेट वाले बच्चे की आस नहीं करनी चाहिए" 
"नहीं । क्या मतलब है इसका मैम" ? सविता ने आश्चर्य चकित होते हुए कहा 
"इसका मतलब यह है कि जब बच्चा गोद में हो और एक बच्चा पेट में आ गया हो तो गोद वाले बच्चे को इग्नोर कर पेट वाले बच्चे से उम्मीद करना क्या सही है" ? एक एक शब्द पर जोर देते हुए उसने कहा 
"नहीं, बिल्कुल नहीं । ऐसा नहीं करना चाहिए" सविता बोल पड़ी 
"फिर आप क्यों कर रही हैं ऐसा सविता जी ? आपने जब प्रेम विवाह किया है तो अपने प्रेमी पति को छोड़कर वैभव के चंगुल में क्यों फंस रही हैं" ? रुकमणी ने विस्फोट करते हुए कहा 

इस बात को सुनकर सविता जड़वत हो गई । जो स्त्री दुनिया भर की खबरें रखती थी उसे उम्मीद नहीं थी कि कोई उसकी भी खबर रख रहा है और वह भी पुख्ता । पर वह भी खाई खेली हुई थी, ऐसे कैसे मान लेती । संभलते हुए वह बोली 
"ये क्या बकवास है मैम ? आप इस तरह मुझ पर इल्जाम नहीं लगा सकती हैं" । वह तैश में आकर खड़ी हो गई  । 
"इतनी तैश में मत आइये । बैठ जाइये और इन्हें देखिये" रुकमणी ने वे सब तस्वीरें सविता को दिखाई जो उसने वैभव को भेजी थीं । अब सविता के पास कहने को कुछ भी नहीं था । वह जोर जोर से रोने लगी । रुकमणी ने उसे पानी पिलाया और सिर पर हाथ फिराते हुए कहने लगी 
"अभी कुछ नहीं बिगड़ा है सविता जी । यह समझ लो कि आप दलदल में फंसते फंसते बच गई हो" 
"वह कैसे" ? 
"क्योंकि वैभव नाम का व्यक्ति इस दुनिया में कोई नहीं है । जिसे आप वैभव समझ कर प्रेम कर रही थीं, अपने पति को तलाक देने की सोच रही थीं, वह मैं ही हूं" । उसने दूसरे मोबाइल से सब कुछ दिखा दिया उसे । फिर रुकमणी बोली "मैं आपके पति से मिली हूं । बहुत सज्जन व्यक्ति हैं वे । आपसे बहुत प्यार करते हैं वे । आप उन्हें सच्चा प्यार दीजिए । ये इधर उधर की भटकन आपको रसातल में ले जायेगी । पर पुरुष के बारे में सोचना भी पाप है मैम । यही भारतीय संस्कृति है । माता अनुसूइया का नाम तो सुना ही होगा आपने" ? उसने प्रश्न करते हुए कहा 
सविता ने इंकार में सिर हिला दिया । 
"यही तो दुर्भाग्य है हमारा । हम पाश्चात्य संस्कृति के पीछे ऐसे दौड़ पड़े कि हमने अपने ही आदर्शों को भुला दिया । महा मुनि अत्रि की पत्नी थीं अनुसूइया जी । जैसे बुद्धिमान और ज्ञानवान, तेजवान ऋषि अत्रि थे वैसी ही साध्वी, विदुषी और पतिव्रता अनुसूइया जी थीं । उन्होंने माता सीता को पतिव्रता स्त्री की पहचान और उसके धर्म बताये हैं जिनका वर्णन गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस के अरण्यकाण्ड में किया है । एक बार ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों देवताओं ने अनुसूइया जी की परीक्षा लेनी चाही । ये तीनों देवता अनुसूइया जी के द्वारे याचक बनकर पहुंचे । जब माता भिक्षा देने आयीं तो इन्होंने कहा "हम ऐसे भिक्षा नहीं लेते । हम केवल उनसे ही भिक्षा लेते हैं जो प्राकृतिक रूप में हमें भिक्षा दे सकें । अर्थात नग्न अवस्था में ही भिक्षा देने वाले की भिक्षा स्वीकार कर सकते हैं । माता अनुसूइया सोच में पड़ गईं । अगर नग्न अवस्था में भिक्षा देती हैं तो पतिव्रत धर्म का नाश होता है और अगर भिक्षा नहीं देती हैं तो अतिथि का अपमान होता है । तब उन्होंने एक उपाय किया । तीनों देवताओं को अपनी तप की शक्ति से बालक बना दिया । फिर प्राकृतिक अवस्था में होकर उन्हें भोजन कराने लगीं । जब तीनों देवताओं की पत्नियां उन्हें ढूंढते ढूंढते वहां आईं तब उन्हें माता अनुसूइया के पतिव्रत धर्म की शक्ति का अहसास हुआ । उनके अनुनय विनय पर माता अनुसूइया ने तीनों देवताओं को फिर से उनके मूल स्वरूप में कर दिया । तीनों देवता माता अनुसूइया को प्रणाम करके चले गये । अत: आप भी एक पतिव्रता स्त्री की भांति अपने धर्म का पालन करें और फिर उसका प्रताप देखें" । सविता को ज्ञान का मार्ग मिल गया था । उसने रुकमणी का बहुत बहुत धन्यवाद ज्ञापित किया । 

क्रमश : 

श्री हरि 
27.4.23 

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2 Comments

Gunjan Kamal

28-Apr-2023 10:36 AM

शानदार भाग

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Hari Shanker Goyal "Hari"

28-Apr-2023 03:49 PM

🙏🙏🙏

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